Thursday, March 3, 2011

मंगल की स्थिति के अनुसार कैसा होता है हमारा स्वभाव?

मंगल ग्रह को ज्योतिष शास्त्र में सभी ग्रहों का सेनापति माना गया है। इसी वजह से इसका प्रभाव भी काफी अधिक होता है। मंगल किसी भी व्यक्ति का स्वभाव पूरी तरह प्रभावित करता है। कुंडली में मंगल किस घर में स्थित है उसके अनुसार क्या फल होते हैं जानिए...

प्रथम भाव में मंगल हो तो...

पत्रिका में मंगल प्रथम भाव में हो तो वह व्यक्ति क्रूर, साहसी, मूढ़, अल्पायु, अभिमानी, शूर, सुंदररूप वाला और चंचल होता है।

द्वितीय भाव में मंगल हो तो...

ऐसा व्यक्ति निर्धन, कुरूप वाला, नीच लोगों के साथ रहने वाला होता है। वह व्यक्ति विद्याहीन अथवा कम बुद्धि वाला होता है जिसकी कुंडली के द्वितीय भाव में मंगल हो।

तृतीय भाव में मंगल हो तो...

पत्रिका के तृतीय भाव में मंगल हो तो वह व्यक्ति अजेय, भ्रातृहीन, सभी गुणों वाला प्रसिद्ध व्यक्ति होता है।

चतुर्थ भाव में मंगल हो तो...

किसी भी व्यक्ति की कुंडली में मंगल चौथो घर में हो तो वह घर, वस्त्र और भाई-बंधु से हीन, वाहन रहित, दुखी होता है।

पंचम भाव में मंगल हो तो...

पांचवे भाव में मंगल होने पर वह व्यक्ति सुख, धन और पुत्र से हीन, चंचल बुद्धि, चुगलखोर, बुरे मन का और अशांत होता है।

छठे भाव में मंगल हो तो...

छठे भाव में मंगल हो तो वह व्यक्ति अतिकामी, सुंदर, बलवान, बंधुओं में श्रेष्ठ और समाज में प्रतिष्ठा पाने वाले होता है।

सप्तम भाव में मंगल हो तो...

जन्मकुंडली में सप्तम भाव में मंगल हो तो वह व्यक्ति रोगी, गलत कार्य करने वाला, दुखी, पापी, निर्धन और पतले शरीर वाला होता है।

अष्टम भाव में मंगल हो तो...

ऐसा व्यक्ति अल्पायु, कुरूप, दुखी और निर्धन होता है।

नवम भाव में मंगल हो तो...

जन्मकुंडली में नवम भाव में मंगल होने पर व्यक्ति कार्य करने में अक्षम, हिंसक, धर्महीन, पापी फिर भी सम्मान प्राप्त करने वाला होता है।

दशम भाव में मंगल हो तो...

कुंडली के दसवें घर में मंगल हो तो व्यक्ति सभी कार्य करने में दक्ष, अजेय, श्रेष्ठ पुरुष, पुत्र सुख प्राप्त करने वाला होता है।

एकादश भाव में मंगल हो तो...

कुंडली के ग्यारवें भाव में मंगल व्यक्ति को गुणी, सुखी, शूर, धनवान, पुत्रवान और सुखी बनाता है।

द्वादश भाव में मंगल हो तो...

कुंडली के बाहरवें भाव में मंगल हो तो वह व्यक्ति आंखों का रोगी, चुगलखोर, क्रूर होता है। ऐसा व्यक्ति के जीवन में जेल भोगने के भी योग बन सकते हैं।



ध्यान रहे मंगल के प्रभावों पर विचार करते समय कुंडली के अन्य ग्रहों की स्थिति भी विचारणीय है। सभी ग्रहों की स्थिति भी अध्ययन करनी चाहिए।

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